रंगीन मूर्तियों को पानी में विसर्जित करने पर रोक। क्या इससे नदियों में प्रदूषण कम होगा?

साथियो आपको पता होना चाहिए कि केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पेंट की गई मूर्तियों को नदियों, झीलों और तालाबों में विसर्जित करने रोक लगाई हैा इसके पीछे उद्देश्य यह है कि इसमें जो कृत्रिम रंग आदि मिलाए जाते है उससे नदी का पानी प्रदूषित होता हैा इससे न सिर्फ पानी में रहने वाली मछलियां मरती हैं बल्कि उस पानी को जो लोग पीते हैं, उन्हें भी तरह तरह की बीमारिया होती है।

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाने के सम्बंध में जो आदेश पारित किया है, इसकके समर्थ में उन्होंने गीता के एक श्लोक का भी हवाला दिया हैा उस श्लोक में कहा गया है कि जल में सिर्फ प्राकृतिक पूजा सामग्री को ही विसिर्जित किया जा सकता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों को इस रोक से अलग रखा है। लेकिन यहा पर ये सवाल है कि क्या यह आदेश उचित है? क्या जनता इसे मानेगी? और क्या इस आदेश का पालन किया जा सकता है?

मेरी समझ से हम सबको स्वयं ही इसके बारेमे सोचना चाहिए क्योंकि नदी हमारी मां के समान है, जो अपने जल से हमारा जीवन सीचती है। इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम स्वयं उसके बारे में सोचे और एक अच्छे और‍ि जम्मेदार नागरिक की भूमिा निभाएा